उसे उसकी राह पर जाने देते है।
चलो उसे ग़म मनाने देते है।
घुट घुट कर कहीं मर न जाए अंदर,
कुछ रोने के उसे बहाने देते है।
पता तो है उसके दिल का हाल सारा,
मुँह पर जो वो चाहे दिखाने देते है।
लगा है ख़ुद को आज़माने में सताने में,
रेत का घर गिरा रहा है गिराने देते है।
यूँ नहीं के उसके मअसलों से गर्ज़ न हो,
छुपाना चाहता है तो छुपाने देते है।
एक ग़म के पीछे तमाम लुटना चाहता है,
ये खुशी है उसकी तो लुटाने देते है।
लाज़िम तो नहीं वो कुछ फ़ूट बैठे निशा,
पर आए जो दर पर तो आने देते है।
©Ritu Nisha
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