Unsplash एक चमन मेरे आँगन में भी खिलता।
क्या खूब था अगर मुझे तू मिलता।
काश हो जाती मोहब्बत हमें तुझसे,
हमारा भी दिल आसे पासे हिलता।
आता तो ले जाता कहीं मुझे तुझमें,
ख़ुदपरस्ती से मेरा हाथ ज़रा ढीलता।
अब फ़क़त नाम ज़माना ज़िम्मेदारियाँ है,
तू होता तो मेरा कुछ किरदार छिलता।
हमे डर न था फ़िर दिल के टूटने वूटने से,
इश्क़ का दर्ज़ी पैबंद बड़े बड़े सिलता।
फ़िर निशा भी क्या खूब लिखा करती,
जो दिल इश्क़ के मसाइलों में झिलता।
©Ritu Nisha
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