सारे पक्ष विपक्ष हुए,
समर बीच मैं खड़ा अकेला
मेरे प्रश्न ही पूछे मुझसे,
कहां गया उत्तर तेरा??
सारी समझ विफल हो बैठी,
होशियारी की मति मारी
जब अपने पे नौबत आई,
साथ ना दें दुनियादारी
तुम्हें अडिग रहना हैं ख़ुद पे,
रखना ख़ुद को प्रथम सदा
खुशियों के हैं दावे सारे,
दर्द की ना कोई हिस्सेदारी
यहां वहां कई हिस्सों में बाटें,
रिश्तों का जमघट सा मेला
मेरे प्रश्न ही पूछे मुझसे,
कहां गया उत्तर तेरा .....???
✍️ ख़ुदरंग...✍️
©Cwam Xharma
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