Cwam Xharma

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एक बड़ा शजर गिर गया कितनी ही खामोशी में, जाने कितना कुछ समेट ले गया वो अपनी आगोशी में एक घोंसला चिड़िया का , उम्मीदों का घर गिलहरियों का, था झूलता झूला बच्चो की खुशियों का, ले साथ अपने सबकुछ डूब गया अनंत बेहोशी में, एक बड़ा शजर गिर गया कितनी ही खामोशी में.... ✍️ ख़ुदरंग...✍️ ©Cwam Xharma

#कविता  एक बड़ा शजर गिर गया 
कितनी ही खामोशी में,
जाने कितना कुछ समेट ले गया 
वो अपनी आगोशी में
एक घोंसला चिड़िया का ,
उम्मीदों का घर गिलहरियों का,
था झूलता झूला 
बच्चो की खुशियों का,
ले साथ अपने सबकुछ 
डूब गया अनंत बेहोशी में,
एक बड़ा शजर गिर गया 
कितनी ही खामोशी में....
                          ✍️ ख़ुदरंग...✍️

©Cwam Xharma

एक बड़ा शजर गिर गया कितनी ही खामोशी में, जाने कितना कुछ समेट ले गया वो अपनी आगोशी में एक घोंसला चिड़िया का , उम्मीदों का घर गिलहरियों का, था झूलता झूला बच्चो की खुशियों का, ले साथ अपने सबकुछ डूब गया अनंत बेहोशी में, एक बड़ा शजर गिर गया कितनी ही खामोशी में.... ✍️ ख़ुदरंग...✍️ ©Cwam Xharma

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#शायरी  


तेरे शहर आकर थम से जाते हैं पांव मेरे
यहां की हवाओं में गूंजती हैं खनक तेरे पायलों की,
ये लखनऊ हैं जनाब, ज़रा नक़ाब से काम लीजिए
हर रोज़ बढ़ती जा रहीं हैं संख्या दिलों के घायलों की
                                              ख़ुदरंग..

©Cwam Xharma

तेरे शहर आकर थम से जाते हैं पांव मेरे यहां की हवाओं में गूंजती हैं खनक तेरे पायलों की, ये लखनऊ हैं जनाब, ज़रा नक़ाब से काम लीजिए हर रोज़ बढ़ती जा रहीं हैं संख्या दिलों के घायलों की ख़ुदरंग.. ©Cwam Xharma

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अंतर्द्वंद की काली चादर ओढ़े, फिरते हम ख़ुद से ख़ुद का मुख मोड़े जाने कितने भावों का बोझ सर पर रखकर हंसते रहते हरपल सबसे अपने शब्द सिकोड़े है समर यही कुरुक्षेत्र यहीं पार्थ मैं ही और दुर्योधन भी सकुनी भी मैं ही और भीष्म भी हैं कमी कहीं तो बस एक यही ना कृष्ण कहीं ना कर्ण कहीं सारे के सारे निर्णय ख़ुद ही ख़ुद को करने हैं हो सम्मुख कोई भी युद्ध स्वयं ही लड़ने हैं है प्रथम चुनौती बस इतनी ख़ुद को अडिग बना पाना गलत सही का निर्णायक मैं हूं ही नहीं फिर भी ख़ुद को सही साबित कर पाना शेष मौन का मुकुट शीश से जोड़े फिरते हम ख़ुद से ख़ुद का मुख मोड़े ... ✍️ पं. शिवम् शर्मा ख़ुदरंग ✍️ ©Cwam Xharma

#कविता  अंतर्द्वंद की काली चादर ओढ़े,
फिरते हम ख़ुद से ख़ुद का मुख मोड़े
जाने कितने भावों का बोझ सर पर रखकर
हंसते रहते हरपल सबसे अपने शब्द सिकोड़े
है समर यही कुरुक्षेत्र यहीं
पार्थ मैं ही और दुर्योधन भी
सकुनी भी मैं ही और भीष्म भी
हैं कमी कहीं तो बस एक यही
ना कृष्ण कहीं ना कर्ण कहीं
सारे के सारे निर्णय ख़ुद ही ख़ुद को करने हैं
हो सम्मुख कोई भी युद्ध स्वयं ही लड़ने हैं
है प्रथम चुनौती बस इतनी
ख़ुद को अडिग बना पाना
गलत सही का निर्णायक मैं हूं ही नहीं
फिर भी ख़ुद को सही साबित कर पाना
शेष मौन का मुकुट शीश से जोड़े
फिरते हम ख़ुद से ख़ुद का मुख मोड़े ...
                        ✍️ पं. शिवम् शर्मा ख़ुदरंग ✍️

©Cwam Xharma

अंतर्द्वंद की काली चादर ओढ़े, फिरते हम ख़ुद से ख़ुद का मुख मोड़े जाने कितने भावों का बोझ सर पर रखकर हंसते रहते हरपल सबसे अपने शब्द सिकोड़े है समर यही कुरुक्षेत्र यहीं पार्थ मैं ही और दुर्योधन भी सकुनी भी मैं ही और भीष्म भी हैं कमी कहीं तो बस एक यही ना कृष्ण कहीं ना कर्ण कहीं सारे के सारे निर्णय ख़ुद ही ख़ुद को करने हैं हो सम्मुख कोई भी युद्ध स्वयं ही लड़ने हैं है प्रथम चुनौती बस इतनी ख़ुद को अडिग बना पाना गलत सही का निर्णायक मैं हूं ही नहीं फिर भी ख़ुद को सही साबित कर पाना शेष मौन का मुकुट शीश से जोड़े फिरते हम ख़ुद से ख़ुद का मुख मोड़े ... ✍️ पं. शिवम् शर्मा ख़ुदरंग ✍️ ©Cwam Xharma

14 Love

#कहो_गर्व_से_हम_हिंदू_हैं माथे तिलक , कांधे पर जनेऊ सजा मंदिर मंदिर दौड़े थे, ख़ुद को हिंदू साबित कर हिंदू वोट से ही जीते थे जब जीत गए चंद सीटे तो सोचा जग सारा ही जीत गए जो ख़ुद हर पल हिंसा का शिकार हुए उन हिंदू को ही हिंसक बोल गए भूल गए क्या नाम में गांधी देने वाले अपने पुरखे उस बापू को, हिंसा के विरोध में दूजा गाल बढ़ाने वाले उस हिंदू को जब सारे ही जग में हिंसा सब के सर पर हावी थी, तब अहिंसा परमो धर्मः बतलाने वाले हिंदू महावीर जी स्वामी थे जिसने हर पल हिंसा झेली फिर भी हिंसा को ना हांथ खड़े किए, काश्मीर से भगाए गए फिर भी बस खामोश रहे जिसने हत्याएं देखी रामभक्तो की फिर भी ना सड़को पे हिंसक हुए हिंदू को हिंसक कहने से पहले अपने कालर को देखो जी, सच सच बतलाओ चौरासी की हिंसा आखिर किसने शुरू करी सुनो कान खोल विधर्मी गांधी हिंदू अगर हिंसक होता तो रामलला का मंदिर इतने दिन टला नहीं होता, हिंदू अगर हिंसक ही होते तो ज्ञानव्यापी में फिर संयम कब का ही हिंदू खोए होते महादेव पे फिर हांथ पैर कभी किसी ने ना धोए होते हिंदू अगर हिंसक होता, तो मथुरा में मस्जिद की सीढ़ी अबतक टूट चुकी होती, गर हिंदू हिंसक ही होते तो हिंदू को हिंसक कहते ही तेरी हड्डी पसली वहीं टूट चुकी होती.. ✍️पं. शिवम् शर्मा ख़ुदरंग✍️ रूरा कानपुर देहात ©Cwam Xharma

#कहो_गर्व_से_हम_हिंदू_हैं #कविता  #कहो_गर्व_से_हम_हिंदू_हैं

माथे तिलक , कांधे पर जनेऊ सजा
मंदिर मंदिर दौड़े थे,
ख़ुद को हिंदू साबित कर हिंदू वोट से
ही जीते थे
जब जीत गए चंद सीटे तो सोचा जग
सारा ही जीत गए
जो ख़ुद हर पल हिंसा का शिकार हुए
उन हिंदू को ही हिंसक बोल गए
भूल गए क्या नाम में गांधी देने वाले
अपने पुरखे उस बापू को,
हिंसा के विरोध में दूजा गाल बढ़ाने
वाले उस हिंदू को
जब सारे ही जग में हिंसा सब के
सर पर  हावी थी,
तब अहिंसा परमो धर्मः बतलाने वाले
हिंदू महावीर जी स्वामी थे
जिसने हर पल हिंसा झेली फिर भी
हिंसा को ना हांथ खड़े किए,
काश्मीर से भगाए गए फिर भी बस
खामोश रहे
जिसने हत्याएं देखी रामभक्तो की
फिर भी ना सड़को पे हिंसक हुए
हिंदू को हिंसक कहने से पहले अपने
कालर को देखो जी,
सच सच बतलाओ चौरासी की हिंसा 
आखिर किसने शुरू करी
सुनो कान खोल विधर्मी गांधी
हिंदू अगर हिंसक होता
तो रामलला का मंदिर इतने दिन
टला नहीं होता,
हिंदू अगर हिंसक ही होते तो
ज्ञानव्यापी में फिर संयम कब का ही 
हिंदू खोए होते
महादेव पे फिर हांथ पैर 
कभी किसी ने ना धोए होते
हिंदू अगर हिंसक होता,
तो मथुरा में मस्जिद की सीढ़ी अबतक
टूट चुकी होती,
गर हिंदू हिंसक ही होते तो
हिंदू को हिंसक कहते ही
तेरी हड्डी पसली वहीं टूट चुकी होती..
 
                  ✍️पं. शिवम् शर्मा ख़ुदरंग✍️
                           रूरा कानपुर देहात

©Cwam Xharma

#कहो_गर्व_से_हम_हिंदू_हैं माथे तिलक , कांधे पर जनेऊ सजा मंदिर मंदिर दौड़े थे, ख़ुद को हिंदू साबित कर हिंदू वोट से ही जीते थे जब जीत गए चंद सीटे तो सोचा जग सारा ही जीत गए जो ख़ुद हर पल हिंसा का शिकार हुए उन हिंदू को ही हिंसक बोल गए भूल गए क्या नाम में गांधी देने वाले अपने पुरखे उस बापू को, हिंसा के विरोध में दूजा गाल बढ़ाने वाले उस हिंदू को जब सारे ही जग में हिंसा सब के सर पर हावी थी, तब अहिंसा परमो धर्मः बतलाने वाले हिंदू महावीर जी स्वामी थे जिसने हर पल हिंसा झेली फिर भी हिंसा को ना हांथ खड़े किए, काश्मीर से भगाए गए फिर भी बस खामोश रहे जिसने हत्याएं देखी रामभक्तो की फिर भी ना सड़को पे हिंसक हुए हिंदू को हिंसक कहने से पहले अपने कालर को देखो जी, सच सच बतलाओ चौरासी की हिंसा आखिर किसने शुरू करी सुनो कान खोल विधर्मी गांधी हिंदू अगर हिंसक होता तो रामलला का मंदिर इतने दिन टला नहीं होता, हिंदू अगर हिंसक ही होते तो ज्ञानव्यापी में फिर संयम कब का ही हिंदू खोए होते महादेव पे फिर हांथ पैर कभी किसी ने ना धोए होते हिंदू अगर हिंसक होता, तो मथुरा में मस्जिद की सीढ़ी अबतक टूट चुकी होती, गर हिंदू हिंसक ही होते तो हिंदू को हिंसक कहते ही तेरी हड्डी पसली वहीं टूट चुकी होती.. ✍️पं. शिवम् शर्मा ख़ुदरंग✍️ रूरा कानपुर देहात ©Cwam Xharma

12 Love

तुम्हें देखकर हम भरते हैं सांसे, हमारी निगाहें तुम्हीं पे टिकी हैं तुम्हीं इश्क़ मेरा , दिल भी तुम्हीं हो कहानी महोब्बत की तुम्ही पे लिखी हैं आकर के बरसा हैं जब जब ये सावन बूंदों में तस्वीर तुम्हारी दिखी हैं खुमारी तुम्हारी छाई हैं ऐसी, जिंदा तो हम हैं,तुम्ही से ज़िंदगी हैं तुम्हें देखकर हम भरते हैं सांसे, हमारी निगाहें तुम्हीं पे टिकी हैं...❤️ ✍️ ख़ुदरंग...✍️ ©Cwam Xharma

#शायरी  तुम्हें देखकर हम भरते हैं सांसे,
हमारी निगाहें तुम्हीं पे टिकी हैं
तुम्हीं इश्क़ मेरा , दिल भी तुम्हीं हो
कहानी महोब्बत की तुम्ही पे लिखी हैं
आकर के बरसा हैं जब जब ये सावन
बूंदों में तस्वीर तुम्हारी दिखी हैं
खुमारी तुम्हारी छाई हैं ऐसी,
जिंदा तो हम हैं,तुम्ही से ज़िंदगी हैं
तुम्हें देखकर हम भरते हैं सांसे,
हमारी निगाहें तुम्हीं पे टिकी हैं...❤️
                           ✍️ ख़ुदरंग...✍️

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तुम्हें देखकर हम भरते हैं सांसे, हमारी निगाहें तुम्हीं पे टिकी हैं तुम्हीं इश्क़ मेरा , दिल भी तुम्हीं हो कहानी महोब्बत की तुम्ही पे लिखी हैं आकर के बरसा हैं जब जब ये सावन बूंदों में तस्वीर तुम्हारी दिखी हैं खुमारी तुम्हारी छाई हैं ऐसी, जिंदा तो हम हैं,तुम्ही से ज़िंदगी हैं तुम्हें देखकर हम भरते हैं सांसे, हमारी निगाहें तुम्हीं पे टिकी हैं...❤️ ✍️ ख़ुदरंग...✍️ ©Cwam Xharma

15 Love

चंद तस्वीर से भला कैसे मैं प्रदर्शित प्रेम ये कर दूं, मेरी तकदीर तुझसे हैं ख़ुद को तेरी पदधूल मैं कर दूं मैं जो भी हूं जहां में आज तेरे आशीष की ही माया हैं भला एक वॉट्सएप स्टेटस में कैसे तेरा स्थान तय कर दूं हैं मेरे पांव ये कोमल की कांटो से मुझे तुमने सदा बचाया हैं भला क्या जानू तपन धूप की कैसी, रहा सर आंचल का साया हैं मेरे खातिर सदा ही मां विपत्तियों से लड़ती आई हैं ये दुनिया और दौलत बाद में सारी मेरा ईश्वर तो सिर्फ़ मेरी माई हैं ✍️ पं.शिवम् शर्मा ख़ुदरंग✍️ रूरा कानपुर देहात ©Cwam Xharma

#कविता  चंद तस्वीर से भला कैसे 
मैं प्रदर्शित प्रेम ये कर दूं,
मेरी तकदीर तुझसे हैं 
ख़ुद को तेरी पदधूल मैं कर दूं
मैं जो भी हूं जहां में आज 
तेरे आशीष की ही माया हैं
भला एक वॉट्सएप स्टेटस में कैसे 
तेरा स्थान तय कर दूं
हैं मेरे पांव ये कोमल 
की कांटो से मुझे तुमने सदा बचाया हैं
भला क्या जानू तपन धूप की कैसी,
रहा सर आंचल का साया हैं
मेरे खातिर सदा ही मां 
विपत्तियों से लड़ती आई हैं
ये दुनिया और दौलत बाद में सारी 
मेरा ईश्वर तो सिर्फ़ मेरी माई हैं
                   ✍️ पं.शिवम् शर्मा ख़ुदरंग✍️
                          रूरा कानपुर देहात

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चंद तस्वीर से भला कैसे मैं प्रदर्शित प्रेम ये कर दूं, मेरी तकदीर तुझसे हैं ख़ुद को तेरी पदधूल मैं कर दूं मैं जो भी हूं जहां में आज तेरे आशीष की ही माया हैं भला एक वॉट्सएप स्टेटस में कैसे तेरा स्थान तय कर दूं हैं मेरे पांव ये कोमल की कांटो से मुझे तुमने सदा बचाया हैं भला क्या जानू तपन धूप की कैसी, रहा सर आंचल का साया हैं मेरे खातिर सदा ही मां विपत्तियों से लड़ती आई हैं ये दुनिया और दौलत बाद में सारी मेरा ईश्वर तो सिर्फ़ मेरी माई हैं ✍️ पं.शिवम् शर्मा ख़ुदरंग✍️ रूरा कानपुर देहात ©Cwam Xharma

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