#कहो_गर्व_से_हम_हिंदू_हैं
माथे तिलक , कांधे पर जनेऊ सजा
मंदिर मंदिर दौड़े थे,
ख़ुद को हिंदू साबित कर हिंदू वोट से
ही जीते थे
जब जीत गए चंद सीटे तो सोचा जग
सारा ही जीत गए
जो ख़ुद हर पल हिंसा का शिकार हुए
उन हिंदू को ही हिंसक बोल गए
भूल गए क्या नाम में गांधी देने वाले
अपने पुरखे उस बापू को,
हिंसा के विरोध में दूजा गाल बढ़ाने
वाले उस हिंदू को
जब सारे ही जग में हिंसा सब के
सर पर हावी थी,
तब अहिंसा परमो धर्मः बतलाने वाले
हिंदू महावीर जी स्वामी थे
जिसने हर पल हिंसा झेली फिर भी
हिंसा को ना हांथ खड़े किए,
काश्मीर से भगाए गए फिर भी बस
खामोश रहे
जिसने हत्याएं देखी रामभक्तो की
फिर भी ना सड़को पे हिंसक हुए
हिंदू को हिंसक कहने से पहले अपने
कालर को देखो जी,
सच सच बतलाओ चौरासी की हिंसा
आखिर किसने शुरू करी
सुनो कान खोल विधर्मी गांधी
हिंदू अगर हिंसक होता
तो रामलला का मंदिर इतने दिन
टला नहीं होता,
हिंदू अगर हिंसक ही होते तो
ज्ञानव्यापी में फिर संयम कब का ही
हिंदू खोए होते
महादेव पे फिर हांथ पैर
कभी किसी ने ना धोए होते
हिंदू अगर हिंसक होता,
तो मथुरा में मस्जिद की सीढ़ी अबतक
टूट चुकी होती,
गर हिंदू हिंसक ही होते तो
हिंदू को हिंसक कहते ही
तेरी हड्डी पसली वहीं टूट चुकी होती..
✍️पं. शिवम् शर्मा ख़ुदरंग✍️
रूरा कानपुर देहात
©Cwam Xharma
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here