तेरे शहर आकर थम से जाते हैं पांव मेरे यहां की हवाओं में गूंजती हैं खनक तेरे पायलों की, ये लखनऊ हैं जनाब, ज़रा नक़ाब से काम लीजिए हर रोज़ बढ़ती जा रहीं हैं संख्य.
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