एक बड़ा शजर गिर गया
कितनी ही खामोशी में,
जाने कितना कुछ समेट ले गया
वो अपनी आगोशी में
एक घोंसला चिड़िया का ,
उम्मीदों का घर गिलहरियों का,
था झूलता झूला
बच्चो की खुशियों का,
ले साथ अपने सबकुछ
डूब गया अनंत बेहोशी में,
एक बड़ा शजर गिर गया
कितनी ही खामोशी में....
✍️ ख़ुदरंग...✍️
©Cwam Xharma