हर रोज़ जब मेरा ये दिन शुरू होता है। कुछ कर गुज़रने | हिंदी Video

"हर रोज़ जब मेरा ये दिन शुरू होता है। कुछ कर गुज़रने के लिए पुरू होता है।। ख़ुद कुछ सीखें, या दुनियां को सिखाएं। मेरा हर दिन अपने आप में गुरू होता है।। बेवज़ह ही पहाडों से टकराते है ये लोग। कम्बख़त एक कंकर भी सीख दे जाता है। ढूंढो तो कोई सही मुर्शद भी नही मिलता। यूँ व्यर्थ बंदा भी ज्ञान की भीख दे जाता है।। काबिलियत तो हर कोई रखता है यहाँ। पर "बजरंगी" कोई परखने वाला चाहिए। हर शख्स अपने आप में गुरु भी शिष्य भी। बस ख़ुद पर भरोसा रखने वाला चाहिए।। चींटी से लेकर चाँटा, कौआ से लेकर काँटा। हर एक चीज़ ने यहाँ पर अपना ज्ञान बाँटा। माँ-बाप का प्यार भी गुस्सा औऱ ज्ञान भी। सही चीज़ में दाद ओर गलत करने पर डाँटा। पहले गुरु माँ बाप जो बोलना चलना सिखाया। दूजे गुरु शिक्षक जो पढ़ना लिखना सिखाया।। "बजरंगी" का तीसरा गुरु तू है ऐ मेरी ज़िंदगी। तूने वो दिखाया जो ना कभी पढ़ा ना सिखाया।। ✍🏻राजू बजरंगी✍🏻 ©Raju Bajrangi "

हर रोज़ जब मेरा ये दिन शुरू होता है। कुछ कर गुज़रने के लिए पुरू होता है।। ख़ुद कुछ सीखें, या दुनियां को सिखाएं। मेरा हर दिन अपने आप में गुरू होता है।। बेवज़ह ही पहाडों से टकराते है ये लोग। कम्बख़त एक कंकर भी सीख दे जाता है। ढूंढो तो कोई सही मुर्शद भी नही मिलता। यूँ व्यर्थ बंदा भी ज्ञान की भीख दे जाता है।। काबिलियत तो हर कोई रखता है यहाँ। पर "बजरंगी" कोई परखने वाला चाहिए। हर शख्स अपने आप में गुरु भी शिष्य भी। बस ख़ुद पर भरोसा रखने वाला चाहिए।। चींटी से लेकर चाँटा, कौआ से लेकर काँटा। हर एक चीज़ ने यहाँ पर अपना ज्ञान बाँटा। माँ-बाप का प्यार भी गुस्सा औऱ ज्ञान भी। सही चीज़ में दाद ओर गलत करने पर डाँटा। पहले गुरु माँ बाप जो बोलना चलना सिखाया। दूजे गुरु शिक्षक जो पढ़ना लिखना सिखाया।। "बजरंगी" का तीसरा गुरु तू है ऐ मेरी ज़िंदगी। तूने वो दिखाया जो ना कभी पढ़ा ना सिखाया।। ✍🏻राजू बजरंगी✍🏻 ©Raju Bajrangi

ज़िंदगी का फ़लसफ़ा

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