"मै ढूंढती रही खुशियां इस दुनिया की भीड़ में
निराश होती रही और सोचती खुशियां है ही नहीं मेरी तकदीर में।
बैठ के अकेली एक दिन खुद के अंदर झांका मैंने
अरे खुशियां जिन्हें बाहर ढूंडती थी उनको अपने अंदर ही ताका मैंने
अपने अंदर ही ताका मैंने।"
मै ढूंढती रही खुशियां इस दुनिया की भीड़ में
निराश होती रही और सोचती खुशियां है ही नहीं मेरी तकदीर में।
बैठ के अकेली एक दिन खुद के अंदर झांका मैंने
अरे खुशियां जिन्हें बाहर ढूंडती थी उनको अपने अंदर ही ताका मैंने
अपने अंदर ही ताका मैंने।