Sunil Azad

Sunil Azad Lives in Kherli, Rajasthan, India

हमसफ़र भी मुझको मेरे मुक़ाबिल चाहिए... जो कहे हुस्न नहीं मुझे तेरा दिल चाहिए...

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बस तुम ही नहीं हो पास मेरे... बाकी तो ये दुनिया सारी है... जीत के जहान को भी... मैंने ये बाजी हारी है... ©Sunil Azad

#शायरी  बस तुम ही नहीं हो पास मेरे...
 बाकी तो ये दुनिया सारी है...
जीत के जहान को भी...
मैंने ये बाजी हारी है...

©Sunil Azad

बस तुम ही नहीं हो पास मेरे... बाकी तो ये दुनिया सारी है... जीत के जहान को भी... मैंने ये बाजी हारी है... ©Sunil Azad

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हर बार न यूँ ही बहलादो, चाहते हो क्या बतलादो । बोलो आखिर कब तक हमको, ऐसे ही तांडव सहना है ।। हे! भारत के बेटे मुझको, बस तुझसे इतना कहना है । दुख कलरव करते रहते है, सन्ताप सुनाते तान यंहा। पीर उठ नित नव नर्तन करती, व्यथाएं गाती गान यंहा ।। पत्थरों के ही उपासक अब, पत्थर के हैं भगवान यंहा । लोहा ले बुराई घूमती, चुम्बक के है मकान यंहा ।। कितने हक़ उठ घुट मिटते पर, हम रहते उनको रटते पर । अल्पदृष्टि के गोचर सकल, किसको न दिखता किसान यंहा । सीमाओं की उथल पुथल में, और जो घायल जवान यंहा ।। पानी बन कर और ये खून, बोलो तो कब तक बहना है ।। हे! भारत के बेटे मुझको, बस तुझसे इतना कहना है।। सुनील आज़ाद

 हर बार न यूँ ही बहलादो,
चाहते हो क्या बतलादो ।
बोलो आखिर कब तक हमको,
ऐसे ही तांडव सहना है ।।

हे! भारत के बेटे मुझको,
बस तुझसे इतना कहना है । 

दुख कलरव करते रहते है,
सन्ताप सुनाते तान यंहा।
पीर उठ नित नव नर्तन करती,
व्यथाएं गाती गान यंहा ।।

पत्थरों के ही उपासक अब,
पत्थर के हैं भगवान यंहा ।
लोहा ले बुराई घूमती,
चुम्बक के है मकान यंहा ।।

कितने हक़ उठ घुट मिटते पर,
हम रहते उनको रटते पर ।
अल्पदृष्टि के गोचर सकल,
किसको न दिखता किसान यंहा ।
सीमाओं की उथल पुथल में,
और जो घायल जवान यंहा ।।

पानी बन कर और ये खून,
बोलो तो कब तक बहना है ।।
हे! भारत के बेटे मुझको,
बस तुझसे इतना कहना है।।
        
   सुनील आज़ाद

हर बार न यूँ ही बहलादो, चाहते हो क्या बतलादो । बोलो आखिर कब तक हमको, ऐसे ही तांडव सहना है ।। हे! भारत के बेटे मुझको, बस तुझसे इतना कहना है ।

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झूम के पी लू,तुम आँखों को शराब कर दो... होठों से छूं लो,मुझे खार से गुलाब कर दो... बहुत गुमान है मुझको अपने चरित्र पर... सीने से यूं लगाओ,मेरी नीयत खराब कर दो... सुनील आजाद

 झूम के पी लू,तुम आँखों को शराब कर दो...
होठों से छूं लो,मुझे खार से गुलाब कर दो...

बहुत गुमान है मुझको अपने चरित्र पर...
सीने से यूं लगाओ,मेरी नीयत खराब कर दो...
                            
  सुनील आजाद

झूम के पी लू,तुम आँखों को शराब कर दो... होठों से छूं लो,मुझे खार से गुलाब कर दो... बहुत गुमान है मुझको अपने चरित्र पर... सीने से यूं लगाओ,मेरी नीयत खराब कर दो... सुनील आजाद

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फूलों जैसे दिखने वाले... रखते हैं कांटे जुबान में..! कितना कुछ देखो बदल गया... है ये आज के इंसान में.!! मेहनत छोटी छोटी चाहें... बिना कमाये रोटी चाहें..! काम धाम करने से बचते... औ' इंकम सब मोटी चाहें.!! हेर फेर तक करना चाहें... ब्रह्मा के लिखे विधान में.!! कितना कुछ देखो.... सुनील आजाद

#संगीत  फूलों जैसे दिखने वाले...
रखते हैं कांटे जुबान में..!
कितना कुछ देखो बदल गया...
है ये आज के इंसान में.!!

मेहनत छोटी छोटी चाहें...
बिना कमाये रोटी चाहें..!
काम धाम करने से बचते...
औ' इंकम सब मोटी चाहें.!!

हेर फेर तक करना चाहें...
ब्रह्मा के लिखे विधान में.!!
कितना कुछ देखो....

   सुनील आजाद

फूलों जैसे दिखने वाले... रखते हैं कांटे जुबान में..! कितना कुछ देखो बदल गया... है ये आज के इंसान में.!! मेहनत छोटी छोटी चाहें... बिना कमाये रोटी चाहें..! काम धाम करने से बचते... औ' इंकम सब मोटी चाहें.!! हेर फेर तक करना चाहें... ब्रह्मा के लिखे विधान में.!! कितना कुछ देखो.... सुनील आजाद

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