मैं किसी और कि हूं इतना बता कर रोयी,
वो मुझे मेहंदी लगे हाथ दिखा कर रोयी...
और इसमे कसूर मेरा नहीं कुदरत का फैसला है,
लिपटकर मुझसे बस वो इतना बता कर रोयी...
पर मुझपे करव का तूफ़ान हो गया आयिल,
मेरे सामने वो ख़त मेरा जला कर रोयी...
और मेरी नफ़रत अदावत पिघल गई पल भर में,
वो अगर बेवफा है तो क्यों मुझे रुला कर रोयी...
और सब शिकवे मेरे एक पल में बह गये,
झील सी आखो में जब आसू सजा कर रोयी...
✍🏻abhi.......❣️
©Abhi raj
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