White वैदेही अब विश्राम चाहती है
अनंत के अस्ताचल में
शांत होना चाहती है
अश्रु नहीं वेदना नहीं
महा पीड़ा नही
हृदयाघात नहीं
कोई तड़प नहीं
बुझते नयन दीप
को विश्राम
मन के कोलाहल को विश्राम
प्रेम की छवि को हृदय प्रांगण में
सजाए
ओह मृत्यु की देवी
उसका वरण करो।
©jagmag
#Moon