अकेले हैं, पर अकेले हो ना सके,
अकेले दिल का कहना, सह ना सके,
आते-जाते ख़्यालों से बनाया यह आशियाना,
हम ढह ना सके |
थक कर आज फिर अकेले बैठे ,
पर इन दीवारों में सन्नाटा सुन कर , हम सह ना सके |
रोज़ अकेले ही रोते थे,
लेकिन आज रोह भी ना सके |....
©PoeticShivani
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