पल्लव की डायरी
तबियत सोहबतौ में बिगाड़ बैठे यार
मन चंचलता की ओर दौड़ रहा है
अपनेपन के रिश्ते हुये अब दूर
इतराना अब
दौलतों और दिखावे पर रह गया है
टूट रहा विश्वास इस कद्र लोगो का
हर कोई अपना वजूद
अपने खास को विश्वास में लेकर
घात विश्वासघात कर रहा है
तन्हा हर कोई हो रहा है यहाँ
अवसाद में दम तोड़ रहा है
मैं मैं का भूत सवार है यहाँ
इसलिये दूसरो की भावना को आहत कर
हर कोई शहंशाह बनने की राह पकड़ रहा है
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
#boatclub हर कोई शहंशाह बनने की राह पकड़ रहा है