मैं घर से तो निकल गया और कुछ भी नहीं किया, ता-उमर | हिंदी शायरी

"मैं घर से तो निकल गया और कुछ भी नहीं किया, ता-उमर खुद से दूर रहा और गैरों से प्रेम किया। रास्ता कितना कठिन था कोई भला कैसे जानेगा, मैंने जो भी माँ से सिखा खुद के साथ वैसा किया। मैं अपने गाँव में होता तो मेरे भी आसूँ पोंछता कोई, अब भला शिकायते कैसी ये दुनिया जैसा करती है सबने वैसा किया। ऐसा नहीं कि काले दिन और लंबी रातें नहीं देखी मैंने, बाहर किसी ने हाथ नहीं थामा और गाँव में ज़िकर नहीं किया। वो भी कितने खास होंगे जिनके खातिर ये कलम चलती है, अब तक मैंने वही सब लिखा है जो आप ने मेरे साथ किया।। ©Ajay Dudhwal"

 मैं घर से तो निकल गया और कुछ भी नहीं किया,
ता-उमर खुद से दूर रहा और गैरों से प्रेम किया। 

रास्ता कितना कठिन था कोई भला कैसे जानेगा,
मैंने जो भी माँ से सिखा खुद के साथ वैसा किया। 

मैं अपने गाँव में होता तो मेरे भी आसूँ पोंछता कोई,
अब भला शिकायते कैसी ये दुनिया जैसा करती है सबने वैसा किया। 

ऐसा नहीं कि काले दिन और लंबी रातें नहीं देखी मैंने,
बाहर किसी ने हाथ नहीं थामा और गाँव में ज़िकर नहीं किया। 

वो भी कितने खास होंगे जिनके खातिर ये कलम चलती है,
अब तक मैंने वही सब लिखा है जो आप ने मेरे साथ किया।।

©Ajay Dudhwal

मैं घर से तो निकल गया और कुछ भी नहीं किया, ता-उमर खुद से दूर रहा और गैरों से प्रेम किया। रास्ता कितना कठिन था कोई भला कैसे जानेगा, मैंने जो भी माँ से सिखा खुद के साथ वैसा किया। मैं अपने गाँव में होता तो मेरे भी आसूँ पोंछता कोई, अब भला शिकायते कैसी ये दुनिया जैसा करती है सबने वैसा किया। ऐसा नहीं कि काले दिन और लंबी रातें नहीं देखी मैंने, बाहर किसी ने हाथ नहीं थामा और गाँव में ज़िकर नहीं किया। वो भी कितने खास होंगे जिनके खातिर ये कलम चलती है, अब तक मैंने वही सब लिखा है जो आप ने मेरे साथ किया।। ©Ajay Dudhwal

#wait कुन्दन ( کندن ) Prabhat Srivastava ✍️(kahi mai sayar to nahi) @Priyanka Anuragi @Poetess Bhawna Mishra @PRATIK BHALA (pratik writes)

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