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Coder by profession, poet by passion kalam ,shayar aur uski shayri
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Tere naam ke na Jane kitne chehre honge is apne shahar me Par ruk jata yahin har dafa,ki kisi me wo teri wali bat bhi nahi, ©Nirupam Anand Singh
Nirupam Anand Singh
12 Love
दफ़न कर आया वो पूरा शहर, ना जिक्र हुई ना बात हुआ गुजरते वक्त के पैमाने पर सिफॅ ,वो ही आबाद हुआ जुल्म उसने किए, फसाने ,कहानी भी उसी के थे पर हर दफा ,कमबखत अकेला मैं ही बर्बाद हुआ ©Nirupam Anand Singh
9 Love
शराब की बोतलों में झुमंने वाली कितनी जावेदां जिंदगी उस पल मयखानों मे आबाद हुए तंग गलियों के उस शहर मे आज भी कहते है ना जाने कितने आए,मजॅ लिए कितने बरबाद हुए । ©Nirupam Anand Singh
10 Love
बदनाम ही सही, चलो तुम मुझे बदनाम कर दो, इस तरह ही सही, हर जुबां पे मेरा नाम आम कर दो, फुर्सत लेकर आऊंगा गर गिना ने हो तुम्हे कुछ शिकायतें, कम से कम इन्ही मुलाकातों मे मेरे हर सुबह को शाम कर दो। ©Nirupam Anand Singh
11 Love
210 View
जिदंगी की ये हादसें,कुछ खुशी तो कुछ गम मिलें। ऑर सफर वहां इंतिहा बनी,जहाँ मुकम्मल दिन थोड़े कम मिले।। ©Nirupam Anand Singh
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