अपने भाग्य पर क्यों ना इतराऊँ मैं गर्वित तिरंगे सी | हिंदी कविता

"अपने भाग्य पर क्यों ना इतराऊँ मैं गर्वित तिरंगे सी क्यों ना लहराऊँ मैं मैंने जन्म लिया है उस पावन धारा पर जहां जन्मे स्वयं मेरे प्रभु श्री राम हैं जिस मिट्टी को अपने प्रेम से सींचे राधे श्याम हैं। ©BELA SAHA"

 अपने भाग्य पर क्यों ना इतराऊँ मैं
गर्वित तिरंगे सी क्यों ना लहराऊँ मैं
मैंने जन्म लिया है उस पावन  धारा पर
जहां जन्मे स्वयं मेरे प्रभु श्री राम हैं
जिस मिट्टी को अपने प्रेम से सींचे राधे श्याम हैं।

©BELA SAHA

अपने भाग्य पर क्यों ना इतराऊँ मैं गर्वित तिरंगे सी क्यों ना लहराऊँ मैं मैंने जन्म लिया है उस पावन धारा पर जहां जन्मे स्वयं मेरे प्रभु श्री राम हैं जिस मिट्टी को अपने प्रेम से सींचे राधे श्याम हैं। ©BELA SAHA

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