खुद की तलाश मे भटका हूँ
मंदिर, मस्जिद,मठ,मजार
हर जगह आड़े आते रहा
अपने हो जाने का अहंकार।
एक कलाकार ,जो था काम में चूर
खोया खुद में इस जो इस कदर
निहारता रहता खुद के बुत को
और उसे कुछ आता नहीं नजर।
वह खुद को तलाश चुका था
शायद तभी था इतना तल्लीन,
मै, मैं को ढूढ़ता ही रह गया
इस अहं में न हो पाया जहीन।
©Kamlesh Kandpal
#findingyourself