अंधेरों से उजालों तक एक सफर रहा था,
खुद को मंजिलों के हवाले कर रहा था.
वो अपना बन गया था मेरा,
उन दिनों मैं उसके घर रहा था.
अपनी प्यास को बहलाने की खातिर,
सूखे दरिया से पानी भर रहा था.
उसने रख दिया था अपना जिस्म मेरे आगे,
और मैं उसे छूने से डर रहा था.
- Ankit dhyani
©Ankit Dhyani
#Nojoto