Unsplash जिस रास्ते की लिए कदम बने उस रास्ते कभी | हिंदी शायरी

"Unsplash जिस रास्ते की लिए कदम बने उस रास्ते कभी चले ही नहीं गलत रास्ता चुनकर उसमे गवाई है सारी उम्र अब जो चंद बची है साँसे वो ढूंढ़ रही मुकाम नया होंसले आज भी जवां है पर वो रास्ता है कहाँ ढूंढ रहा है वज़ूद मेरा ©दक्ष आर्यन"

 Unsplash जिस रास्ते की लिए कदम बने 
उस रास्ते कभी चले ही नहीं 
गलत रास्ता चुनकर 
उसमे गवाई है सारी उम्र 
अब जो चंद बची है साँसे वो ढूंढ़ रही मुकाम नया
होंसले आज भी जवां है पर वो रास्ता है कहाँ 
ढूंढ रहा है वज़ूद मेरा

©दक्ष आर्यन

Unsplash जिस रास्ते की लिए कदम बने उस रास्ते कभी चले ही नहीं गलत रास्ता चुनकर उसमे गवाई है सारी उम्र अब जो चंद बची है साँसे वो ढूंढ़ रही मुकाम नया होंसले आज भी जवां है पर वो रास्ता है कहाँ ढूंढ रहा है वज़ूद मेरा ©दक्ष आर्यन

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