मैं भी एक बेरोजगार हूँ और रोजगार की एहमियत दिन पर दिन कैसे बढ़ती जा रही है कैसे बताऊँ, बहुत उम्मीदें बहुत सपने दाव पर लगे हैं,,माँ बाप की उम्मीदें रोज कैसे मरती, और फिर कैसे उम्मीद मुझसे जग भी जाती पता नहीं,,, एक रोजगार के लिए पूरी जिंदगी दाव पर कैसे लग जाती है,,,अब पता चलता है,,,यहाँ लोगों को अपनी राजनीति से मन नहीं भरता और देश के युवा रोजगार के लिए अपनी जान तक गंवा दे रहे,,,, एक दिन मैंने भी सोचा था कि इसपर वीडियो बनाऊं,,,, फिर मन नहीं किया कि लोग एक दिन देखेंगे,,, वाह वाह करेंगे,,थोड़ी सहानुभूति दिखाएंगे फिर भूल जायँगे पर जो कर्तव्य है करेंगे नहीं सरकार तक आवाज़ भी नहीं पहुँचेगी,,,,और पहुँच भी गयी तो भी कुछ नहीं होगा,,,इसलिए मैंने video नही बनाया,,,,,but मुझे खुशी हुई कि प्यारे जी आप बेरोजगारों का दर्द सामने लाये। बहुत बहुत शुक्रिया🙏🙏🙏🙏🙏
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