#FourLinePoetry उतना ही लो थाली में व्यर्थ न जाये नाली में ,
ये पंक्तियाँ तो आप सभी ने सुनी ही होंगी ,आज
इन्ही पँक्तियों को नया रूप देने का प्रयास किया है 🙏
अन्न को देवता का दर्ज़ा, यूँ ही नही दिया जाता है,
साँसो को संभालने का कार्य, इसी से तो लिया जाता है,
हर कोई कहाँ समझता है, जहां में क़द्र भोजन को ,
कोई तरसता एक निवाले को, कोई नाली में बहाता है,
हालांकि भोजन नही कर पाता भेदभाव इंसानो में,
वो तो भूख में सबकी ही , जरूरत बन जाता है,
दुनिया मे ऐसे भी लोग हैं ,जिन्हें भूखा सोना पड़ता है,
पिज़्ज़ा बर्गर खा कर क्यूँ ,तू रोटी की कीमत भूल जाता है,
थाली में भोजन जरूरत भर का हो ,जो भूख मिटा सकें,
जो करे अन्न का निरादर , वही अकाल मृत्यु को पाता है ।।
-पूनम आत्रेय
©poonam atrey
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