हमें सिखाया गुरु आपने सतमार्ग पर चलना सदा सेवा भाव | हिंदी कविता

"हमें सिखाया गुरु आपने सतमार्ग पर चलना सदा सेवा भाव ही कर्मपथ हो करते रहें हम जगत कल्याण। है अरदास हे परम पिता सजदे में सर झुके सदा जब भी हमारी जरूरत हो वतन पर करे हम जान निशां। खात्मा हो सभी दुश्मनों का जो सीमा पर कुदृष्टि रखे उनकी मनशा ना कभी पूरी हो जो देश तोड़ने की चाह रखे। बहे रगों में फिर खून वही जिसमे धर्म की ज्वाला बहे अन्याय के सम्मुख शीश झुके नहीं गर जरूरत पड़े कुर्बान जिगर के टुकड़े करे। ©BELA SAHA"

 हमें सिखाया गुरु आपने
सतमार्ग पर चलना सदा
सेवा भाव ही कर्मपथ हो
करते रहें हम जगत कल्याण।
है अरदास हे परम पिता
सजदे में सर झुके सदा
जब भी हमारी जरूरत हो
वतन पर करे हम जान निशां।
खात्मा हो सभी दुश्मनों का
जो सीमा पर कुदृष्टि रखे
उनकी मनशा ना कभी पूरी हो
जो देश तोड़ने की चाह रखे।
बहे रगों में फिर खून वही
जिसमे धर्म की ज्वाला बहे
अन्याय के सम्मुख शीश झुके नहीं
गर जरूरत पड़े कुर्बान जिगर के टुकड़े करे।

©BELA SAHA

हमें सिखाया गुरु आपने सतमार्ग पर चलना सदा सेवा भाव ही कर्मपथ हो करते रहें हम जगत कल्याण। है अरदास हे परम पिता सजदे में सर झुके सदा जब भी हमारी जरूरत हो वतन पर करे हम जान निशां। खात्मा हो सभी दुश्मनों का जो सीमा पर कुदृष्टि रखे उनकी मनशा ना कभी पूरी हो जो देश तोड़ने की चाह रखे। बहे रगों में फिर खून वही जिसमे धर्म की ज्वाला बहे अन्याय के सम्मुख शीश झुके नहीं गर जरूरत पड़े कुर्बान जिगर के टुकड़े करे। ©BELA SAHA

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