"भरे नोजोटो में हम खुद को तन्हा पाते हैं,
सब लोग अपने,दोस्त,महबूब के साथ आते जाते हैं।
बहते हैं आँखों से आंसू तुम्हारी याद में,
तुमसे बिछड़कर हम कहाँ मुस्कुरातें हैं।
खो गई है रौनक हमारे चेहरे की,
अब तो ग़मों के साए इसको सजातें हैं।
खींच लिया है हमसे खुशियों ने दामन,
सारे ग़म आकर हमारे साथ वक़्त बितातें हैं।
अब ना जाने कब तुमसे मुलाक़ात होगी,
इसी क़समक़स में हम अपना हर वक़्त बितातें हैं।
ये जो सह रहे हैं हम दर्द जुदाई का,
शायद इसी को लोग यहाँ मोहब्बत बतातें हैं।
I miss you 🥺
...«M»...
©Ak.writer_2.0
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