जिस शहर मे आंधी आ जाए उसे क्या उछालो गए तुम लोग
बाते जहां मेरे हक की होगी तो उसे क्या निकालो गए तुम लोग
सीखा है मैंने टेढ़े रास्तों से सीधा आसमान तक निकलना
भूल कर भी करी मेरी बुराई तो नतीजे क्या संभालो गए तुम लोग
©Writer Geeta Sharma
जिंदगी एक ढ़लती शाम जेसी थी
मुक्तक
#rain
Wah ji wah wah kamaal 🌹 🌹 🌹 🌹