Writer Geeta Sharma

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White आजकल दिल उदास रहता है रोज़ ग़म आस पास रहता है ज़ीस्त में क्यों इतनी तन्हाई है जब कोई मेरे पास रहता है खोयी हूँ मैं ग़म के अंधेरों में कब ख़ुशी का उजास रहता है मुस्कुराहट कैसे हो चेहरे पे रोज़ ग़म मेरे पास रहता है आशना तो रही नहीं खुशियाँ ग़म से अब दिल शनास रहता है तल्ख़ है बात सब करे गीता कौन लब पे मिठास रहता है ©Writer Geeta Sharma

#शायरी #sad_quotes  White आजकल दिल उदास रहता है 
रोज़ ग़म आस पास रहता है 

ज़ीस्त में क्यों इतनी तन्हाई है 
जब कोई मेरे पास रहता  है

खोयी  हूँ मैं  ग़म के अंधेरों में 
कब ख़ुशी का उजास रहता है 

मुस्कुराहट कैसे हो चेहरे पे 
रोज़ ग़म मेरे  पास रहता है

आशना तो रही नहीं खुशियाँ 
ग़म से अब दिल शनास रहता है

तल्ख़ है बात सब करे गीता 
कौन लब पे  मिठास रहता है

©Writer Geeta Sharma

#sad_quotes plz love this gazal

10 Love

#कविता #sunlight  कविता 
करूपता क्यो  एक  पहर 


रात  देह  चमकने लगी जब   मेरी  
तो फ़िर  चमकने लगा   नूर  सारा  
फ़िर  क्यो  किसी  ने   नही मुझे  
करूपता  का  थप्पड़  मारा  
क्यो दिल  के  उजालों  में  धुंधली  सी  दिखती  हूँ  
फ़िर   रात  के  अंधेरो  में   मैं सरेआम  बिकती हूँ 
   अस्तिवता  के  मेंरे पंख    तोड़े  जाते  हैं  
विनम्रता  के  शंख  फ़िर  जोड़े    जाते  हैं 
लगा  कर  मुझ  पर  रीति  रिवाजों  का  पहर 
मेंरे  कदम  फ़िर    तो  मोड़े  जाते  हैं 
मैं  समझ  ना  पाई  ख़ुद  पर  इस  घृणा  को 
जिसका  चारों  तरफ  पहर  हैं  
सांवली  सी  सूरत  पर 
ना  कोई  शहर हैं  
क्यो  हूँ  मैं  निराकार  मेरा  कोई  आकार  नही  
क्य़ा सुंदरता  पर मेरा  कोई  अधिकार  नही
गीता  शर्मा  
नई  दिल्ली

©Writer Geeta Sharma

#sunlight great poetry राष्टीय कवि गीता शर्मा

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सरस्वती  वंदना  से  लेकर  गीत तक  का  सफर

सरस्वती वंदना से लेकर गीत तक का सफर

Sunday, 24 July | 08:15 am

25 Bookings

Expired
#शायरी

कवि samlyan

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जिस शहर मे आंधी आ जाए उसे क्या उछालो गए तुम लोग बाते जहां मेरे हक की होगी तो उसे क्या निकालो गए तुम लोग सीखा है मैंने टेढ़े रास्तों से सीधा आसमान तक निकलना भूल कर भी करी मेरी बुराई तो नतीजे क्या संभालो गए तुम लोग ©Writer Geeta Sharma

#विचार #rain  जिस  शहर  मे आंधी आ जाए उसे क्या उछालो गए तुम  लोग 
बाते जहां मेरे हक की  होगी तो उसे  क्या निकालो गए तुम लोग 
सीखा है मैंने टेढ़े रास्तों  से सीधा   आसमान तक  निकलना 
 भूल कर भी करी  मेरी बुराई तो नतीजे क्या   संभालो गए तुम लोग

©Writer Geeta Sharma

जिंदगी एक ढ़लती शाम जेसी थी मुक्तक #rain

12 Love

कि कभी कलम से लिख दूं खुद को तो लोग मतलबी समझते हैं. स्याही का rang कभी किसी ने देखा नहीं ©Writer Geeta Sharma

#विचार #jail  कि कभी कलम से लिख दूं खुद को तो लोग मतलबी समझते हैं.
 स्याही का rang कभी किसी ने देखा नहीं

©Writer Geeta Sharma

#jail

17 Love

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