सुनो.....शब्द नही हैं अब, भाव पढ़ सको तो पढ़ना,
खाली आँखों को सपनों से गर, भर सको तो भरना।
रीती सी है जिंदगी, न कोई ख्वाब अब बाकी रहा...
मेरी ज़िंदगी को अपने प्रेम से, गढ़ सको तो गढ़ना।।
अप्रतिम 👌👌🙏🙏
Neel सर्वप्रथम आभार धन्यवाद💐💐🙏🙏
इस भिगोते एहसास को सम्मान सहित कुछ पंक्तियों से नवाज़ ना चाहूंगा
कि.....
ख्वाहीश थी की वो रहनुमा बन संग चले
हमनवां है तो हमसफर भी बने
खास हो तुम जब तो क्यों न दो पग साथ चले
खास हो कोई यार जब तो राह ए मंजिल अच्छी लगती है
दिल को सुकून मिलता है जिंदगी हसीं लगती है।
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सुनो.....शब्द नही हैं अब, भाव पढ़ सको तो पढ़ना, खाली आँखों को सपनों से गर, भर सको तो भरना। रीती सी है जिंदगी, न कोई ख्वाब अब बाकी रहा... मेरी ज़िंदगी को अपने प्रेम से, गढ़ सको तो गढ़ना।। अप्रतिम 👌👌🙏🙏