जीवन की आपाधापी में
कुछ उलझन और उदासी में
जो छूट गया सो छूट गया
अब बीती बात का क्या रोना
बस मिट्टी ही की दुनिया है
और मिट्टी में मिल जानी है
कोई जर्जर हुई इमारत थी
गर टूट गयी तो क्या रोना
हम फिर से जहां बना देंगे
नया सूरज चांद टकां देंगे
हम वीरों के सब वशंज है
खेल नया रचा देंगें
तुम रोनेके कुछ आदी हो
हम हसना तुम्हें सिखा देंगे
तुमको लगता है हार हुई
हम जीत की ध्वजा लगा देंगे।।।।
जय हिन्द
©Harshita Srivastava
#delusion