रस्ता और गाँव अपने जैसों में घिरे रहने वाले ही अपनों का दर्द जानतें हैं,
देस छोड़ कर भागने वालें हमें आसमान की बातें समझातें हैं,
मिला किसे है आसमान यहां धरती पर, रहकर देख लो कहीं भी,
इतना तो हम जानते हैं की दूर के ढोल ही सुहाने नज़र आते हैं,
अरे अपनी भाषा, अपने लोग, अपनी मिट्टी की बातें करो,
क्या रखा है चाँद पर, अपनी बूढ़ी मां की शक्ल देख लो,
विदेशों के club और pot luck में वो मज़ा कहाँ,
राखी बांधती अपनी बहन की वो मुस्कान तो देख लो।
वो गालियां जिनमें की सारी बचपन की शरारतें थी,
वो यार दोस्त जो कभी हमारी पूरी दुनिया ही थी,
वो माँ के हाथ का सर्दी का गाजर का हलवा हो,
या पापा से कभी maths का सवाल समझना हो।
आज बेबस तुझे निहार रहे, आज लाचार तेरा रास्ता ताक रहे,
तुझे ज़रूरत थी, तब तुझे झुलाने वाले, आज अपनी सीधे खड़े होने की लाठी ताक रहे,
और तू करता हमसे आसमान की बातें है, तू बताता मुझे मेरे देश में नहीं वो फायदे हैं,
जा ढूंढ ले तेरा चाँद जहाँ तुझे मिल जाये, ना जाने क्यूँ मुझे मेरे देस के धक्के भी पसंद आये।।
#IlovemyIndia
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here