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कभी इधर कभी उधर ज़िंदगी लगती है। लाख हो अंधेरा, सफ़र ज़िंदगी लगती है। वो तोड़ सकते हैं उन्हें तोड़ना आता है। हमें हर मोड़ पर, ठहर ज़िंदगी लगती है। ©मनीष कुमार पाटीदार

#specs  कभी इधर कभी उधर ज़िंदगी लगती है।
लाख हो अंधेरा, सफ़र ज़िंदगी लगती है।

वो तोड़ सकते हैं उन्हें तोड़ना आता है।
हमें हर मोड़ पर, ठहर ज़िंदगी लगती है।

©मनीष कुमार पाटीदार

#specs

12 Love

सुन भाई..... बदनामी और चरचे उन्ही के होते हैं जो अपनी हैसियत से ज्यादा मशहूर होते हैं.. ©Sarfaraj idrishi

#specs  सुन भाई.....
बदनामी और चरचे उन्ही के होते हैं
 जो अपनी हैसियत से ज्यादा मशहूर होते हैं..

©Sarfaraj idrishi

#specs बदनामी और चरचे उन्ही के होते हैं जो अपनी हैसियत से ज्यादा मशहूर होते हैं..बाबा ब्राऊनबियर्ड @Chand Ansari ༆☬ȼħħøŧᵾ☬༒꧂ gaTTubaba @advocate SURAJ PAL SINGH

11 Love

#Motivational #specs  छल करने वाला आपसे भले ही जीत सकता है।
पर वो अपने ज़िंदगी में कभी कामयाब नहीं हो सकता।

©Ak

#specs

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#ज़िन्दगी #शायरी #nojotopoetry #nojotoshayri #nojotohindi #sahamili  🌿🌿ज़िन्दगी 🌿🌿
❤️🧡💛💚🩵💙💜🤎🖤🩶🤍🩷🧡🧡
🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿

ना जाने कितने ही रंग दिखाती है, हमें यह ज़िन्दगी,
कभी उलझाती है कभी तो समझाती है यह ज़िंदगी,

हर रंग में जीना सीख लो, हर रंग खुद में होता खास,
समझ सको तो समझो वरना ज़िंदगी लगेगी बेस्वाद।

🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿

©Mili Saha

मुद्दतें गुजरी है धड़कनों को समझने में, वक्त भी दिया अंधेरे उजाले बदलने में, उलझ गया हूँ कई दफ़ा ऐसी बातों में.. जानना हो सच गर, तो तुम भी उलझ लेना। आसां नही है धड़कनों को समझ लेना, माया भरे मन व मंसूबों को परख लेना, बहका हूँ कई दफ़ा झूठे चेहरों में.. फुर्सत हो तुम्हें अगर, तो तुम भी उलझ लेना। चक्रव्यूह सा हुआ यह धड़कनों का सिलसिला, सब साँसों में धधक रहा जलन का जलजला, जलाया गया हूँ कई दफ़ा नजरों से.. यकीं ना हो अगर, तो तुम भी उलझ लेना। कवि आनंद दाधीच 'दधीचि' भारत ©Anand Dadhich

#धड़कनों_को_समझना #सस्पेंस #kaviananddadhich #poetananddadhich #eveningthoughts #poetsofindia  मुद्दतें गुजरी है धड़कनों को समझने में,
वक्त भी दिया अंधेरे उजाले बदलने में,
उलझ गया हूँ कई दफ़ा ऐसी बातों में..
जानना हो सच गर, तो तुम भी उलझ लेना।

आसां नही है धड़कनों को समझ लेना, 
माया भरे मन व मंसूबों को परख लेना, 
बहका हूँ कई दफ़ा झूठे चेहरों में.. 
फुर्सत हो तुम्हें अगर, तो तुम भी उलझ लेना।

चक्रव्यूह सा हुआ यह धड़कनों का सिलसिला,
सब साँसों में धधक रहा जलन का जलजला,
जलाया गया हूँ कई दफ़ा नजरों से.. 
यकीं ना हो अगर, तो तुम भी उलझ लेना। 

कवि आनंद दाधीच 'दधीचि' भारत

©Anand Dadhich
#nojotoapp #nojohindi #specs  जीवन की व्याख्या ही एक कविता है

©Anirudh Khandelwal

#specs #nojohindi #Nojoto #nojotoapp

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