मेरे इश्क की इबादत है तू,
हां मेरी ना छुटने वाली आदत है तू,
कि आईना में झकता हूं, तेरा अक्स नजर आता है,
सोते हुए तेरे ख्यालो में घंटो करवते बदलता हूं,
बैठा बैठा कहीं खो सा जाता हूं,
क्या कहूं तेरे ख्यालो में, मैं पागल हो सा जाता हूं,
शायद कारण यह है, मेरे इश्क की इबादत है तू,
हां मेरी ना छुटने वाली आदत है तू,
और ज़हन में तू इस कदर समा गई है,
कि इंतजार में आंखों ने साथ छोड़ दिया,
मगर उम्मीद का दामन आज भी सलामत है,
कुछ तो खास है तेरी जुस्तजू में शायद,
कारन ये है, मेरे इश्क की इबादत है तू,
हां मेरी ना छूटने वाली आदत है तू,
कोई तेरा जिक्र करता है खामोश हो जाता हूं,
तुझे देखने का ख्याल आता है, तो आंखे नम हो जाती है,
तुझे महसुस करता हूं, तो दिल की धड़कन बढ़ जाती है,
तू सुकून है मेरा या मेरी बेचैनियों की बीमारी है,
शायद करण यह है कि, मेरे इश्क की इबादत है तू
हां मेरी ना छुटने वाली आदत है तू...!
---(GUSTAKHI MAAF)
©someone special
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