Makar Sankranti Messages
लगता है फिर भी नहीं चैन आयेगा
यद्यपि यहीं कहीं इसी महीने में मनाया जायेगा
पुनः त्योहार-ए-दीपावली।
गुड़, मुरमुरे, दही, मूँगफली,
तिल तथा चिपटे चावल
खाने के बावजूद मन है विकल
क्योंकि इक गीत बनाने को,
संगीत सजाने को
जिसका इंतज़ार है,
वही नहीं है,
क्योंकि किसी की
रचना को रिकॉर्ड
करते-करते
मुख दुख गया
फिर भी गायन गज़ब न हो सका,
काव्य रब न हो सका
क्योंकि काव्य रब होता तो,
क्योंकि काव्य सब होता हो
मैं अब तक न रुका होता
मैं वो हो चुका होता,
जो होना है मुझे
हमेशा के लिए।
...✍️विकास साहनी
©Vikas Sahni
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