वक्त ऐसे भी कुछ आते हैं लगता है फिर से खुल गई कोई बार - बार पढ़ी हुई किताब सितारों से झिलमिल समां चहकती चंचल रैना और ज़मीं पे उतरा हो जैसे महताब।। - मोहन सरद.
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