वक्त ऐसे भी कुछ आते हैं लगता है फिर से खुल गई को | हिंदी शायरी

"वक्त ऐसे भी कुछ आते हैं लगता है फिर से खुल गई कोई बार - बार पढ़ी हुई किताब सितारों से झिलमिल समां चहकती चंचल रैना और ज़मीं पे उतरा हो जैसे महताब।। - मोहन सरदारशहरी ©Mohan Sardarshahari"

 वक्त ऐसे भी कुछ आते हैं 
लगता है फिर से खुल गई 
कोई बार - बार पढ़ी हुई किताब 
सितारों से झिलमिल समां
चहकती चंचल रैना और
ज़मीं पे उतरा हो जैसे महताब।।
- मोहन सरदारशहरी

©Mohan Sardarshahari

वक्त ऐसे भी कुछ आते हैं लगता है फिर से खुल गई कोई बार - बार पढ़ी हुई किताब सितारों से झिलमिल समां चहकती चंचल रैना और ज़मीं पे उतरा हो जैसे महताब।। - मोहन सरदारशहरी ©Mohan Sardarshahari

ज़मीं पर‌ सितारे

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