देखकर आईने में खुद को तुम्हें ही तो निहारती हूँ , मेरी इन गहरी आँखों में तेरे ही ख़्वाब सजाती हूँ , मेरा श्रृंगार तो तुमसे हे सजना चेहरे को तेरे जहन में बसाकर.
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