राष्ट्र साधना हेतू जो नित नये आयाम गढ़ता है।
राष्ट्र निर्माण हेतु जिसका हर सिपाही आगे बढ़ता है।
राष्ट्र सेवा में तत्पर सदा सर्दी गर्मी या हो बरसात।
रग रग में समाई इसके , उज्जवल, उन्नत राष्ट्र की बात ।
नमस्ते सदा वत्सले के साथ , राष्ट्र प्रेम जिसमे अंग अंग है।
भारती की बगिया का पुष्प , यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है।
✍️ जितेन्द्र गौतम "इंकलाबी"
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