....…खुद बुरा बनकर चले जाते,
पर हमें क्यों बुरा बनाया।
जब नहीं मिले किस्मत में,
तो क्यों सुनहरा ख़्वाब सजाया।
झांका नहीं इस बिलखते हृदय में,
रोते हुए को ओर भी रुलाया।
प्यार में भी खुदगर्ज हुए,
तुम्हारे सिवा ना किसे अपनाया।
कहते रहे हम ही दगाबाज थे,
तुम्हें न बुरा बनाया।
जीना ही भूल गए हैं,
मरना तुमने सिखाया।
तुमने नफ़रत की चिंगारियों में जला दिया,
हमने प्यार से इसे बुझाया।
हम खुद को कोसते रहे,
तुम्हें हकीकत से ना मिलवाया।
गला रूंध जाता है कहते _कहते......
अपना हर दर्द क्यों तुमसे छुपाया।😔
©आधुनिक कवयित्री
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