तुझसे है प्रेम अधूरे ख्वाब सा,
थोड़ी पढ़ी किताब सा।
प्रेम तुझमे मेरी सांसो का होना है,
जैसे राधा के लिये स्याम सलोना है।
प्रेम मेरे लिये खास है मेरा प्रेम विस्वास है,
तू नदी है अल्हड़ पहाड़ो की मेरा प्रेम झरने सा शांत है।
तू जिंदगी की रवानी है,
मेरा प्रेम तेरे लिये सिर्फ कहानी है।
तुझे क्या पता चकोर का चांदनी से रिश्ता,
मेरा प्रेम वो पपीहा हैजो प्यासा है स्वाति नक्षत्र की बूंद का।
ये लगन है अनोखी जैसे राधा को कृष्ण की,
मुझमे भी है उलझन तेरे प्रेम की।
सीता हुई राम की शक्ति हुई शिव की,
बेसे ही चाहत है चाँद की।
(चाहत)
©Chahat Kushwah
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