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#नोजोटो #सुनसान #शायरी #अचानक #सड़क  इरादा तो मेरा भी दूर के सफर का था 
उसके साथ लेकिन 
सुनसान सड़क पर अचानक से 
उसकी पसंद बदल गई।

©Ankush Sharma
#suspense #Susaan  humko laga ki koi hume  dekh kar ruk gaya  tha 
surat aisi ki sara  aasma unki aur jhuk gaya tha 
Humne khud ko samzaya bahut manaya lakin unki ada ka asar aisa ki humara  dil un par aa hi gaya  tha 
lakin jab pass unko aate dekha tou khul kar hum kuch kehte unka sari kaaya ka rup hi badal gaya tha 
phir kya karte ?bas ek patthar ka saaya bankar ye zism hi deh gaya tha......

©writer ,mrs. Mona Chandel

#Susaan sadak

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 wo samne aaye aur mujh se lipat kar Khamosh se rahe gayi
mano uske Khamoshi me hajaron sikayat the
per na jane kyu wo mujhe se kah na pai....
wo humere dur ho jane ke tarap ko aapni siskiyo me davai bathi the....
mano wo mujh se dur ja kar v mare karib rahna chahte ho....

©pragya singh

wo samne aaye aur mujh se lipat kar Khamosh se rahe gayi mano uske Khamoshi me hajaron sikayat the per na jane kyu wo mujhe se kah na pai.... wo humere dur ho jane ke tarap ko aapni siskiyo me davai bathi the.... mano wo mujh se dur ja kar v mare karib rahna chahte ho.... ©pragya singh

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#कविता  जब तुम दिखे एक बार को विश्वास नहीं हुआ आंखों को..लेकिन फिर तुमने आवाज़ लगाई...
और दिल की कली फिर से खिल गई और होठों पर एक सुकून भरी मुस्कान छाई....

©Pallavi Kumari

जब तुम दिखे एक बार को विश्वास नहीं हुआ आंखों को..लेकिन फिर तुमने आवाज़ लगाई... और दिल की कली फिर से खिल गई और होठों पर एक सुकून भरी मुस्कान छाई.... ©Pallavi Kumari

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#विचार  सुनसान सड़क पर अचानक से
    एक आवाज़ आई
रुको, और फिर .......

©Kiran Rathore

सुनसान सड़क पर अचानक से एक आवाज़ आई रुको, और फिर ....... ©Kiran Rathore

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 महफिल में शोर हो क्यों नहीं रहा
वह आंखों के बीज वह क्यों नहीं रहा

कभी ऐसा लगता है कि वह बेजान है
वह अपने तन में सुई चुभा क्यों नहीं रहा

जिंदगी की बाजी में हार हो या जीत
यह नादान मन जुआरी हो क्यों नहीं रहा

शमा शांत है हलचल नहीं रात में
बताओ रात में उल्लू रो क्यों नहीं रहा

©ashish gupta

महफिल में शोर हो क्यों नहीं रहा वह आंखों के बीज वह क्यों नहीं रहा कभी ऐसा लगता है कि वह बेजान है वह अपने तन में सुई चुभा क्यों नहीं रहा जिंदगी की बाजी में हार हो या जीत यह नादान मन जुआरी हो क्यों नहीं रहा

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