रिश्तो में अहम औऱ तमाशा बन गया,लगी जो चोंट दिल पे
तो तमाशा बन गया,हर किसी ने देखा हैं
जो तमाशा बन गया,नाँव अपनी थी नदि में
छेद अपनो ने किया,डूबती नैया को देखा
ओर तमाशा बन गया,अपनी ढपली राग अपना
छेड़ते रहे सदा,टूटी ढपली देखने को
तमाशा बन गया,तार दिल से जुड़े थे ( रिश्तों के)
दिल ही को तोड़ा आपने,टूटे दिल के टुकडे टुकड़े( बिखरे रिश्ते )
ओर तमाशा बन गया,छोटी छोटी बात पर
था किया तूफ़ां खड़ा,छोटी छोटी बात से
बड़ा सा तमाशा बन गया,क्या था तेरा ओर क्या मेरा
थी कहानी इतनी सी,मान और सम्मान का
झूठा तमाशा बन गया,राग छेड़ा अहम का
ओर ताल थी क्रोधो भरी,गीत गाया ऐसा तुमने
ओर तमाशा बन गया,हा समझतीं हुँ में इतना
बजती ताली दो हाथ से,हाथ क्या बिछड़े हमारे
वो तमाशा बन गया,नज़रे न मिलती तुम्हारी
ओर न नज़र उठती हमारी,नज़रो का नज़रो से गिरना
ओर तमाशा बन गया,साथ छूटे अपने छुटे
छुटा आपस का स्नेह,दुश्मनों से भाव आया
और तमाशा बन गया
©पूर्वार्थ
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