White जैसे-जैसे जिंदगी गुजर रही है
वैसे-वैसे हमें ये अहसास होते जा रहा है कि
ये जो मेरे आस पास जितने भी लोग है
पड़ोसी, दोस्त, रिश्तेदार
असल में वो सिर्फ दिखावे के लिए अपने है
सब अच्छे वक्त के साथी है
सच कहूं तो उन्हें हमारे दुख दर्द तकलीफों
से कोई मतलब नहीं है
उन्हें बस अपने काम और अपनी जरूरतों से मतलब है
और हमें ये वहम रहता है कि चलो कोई तो अपना है
जैसे-जैसे लोगों की जरूरतें खत्म होती गई
वैसे-वैसे लोग भी हम से दूर होते गए
और एक वक्त के बाद
सब हमसे दूर हो गए ।
©harshit tyagi
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