Gunaah Shayari
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गुनाह जीभारी आपत्ती— मैं जिम्मेदारी शब्द हूं.. आतंकवादी वारदातों, घटनाओं, वारदातों.. और गुनाहों के बाद.. उनके कुबूल नामे में.. मेरा नाम लिया जाता है.. जो कि मीडिया द्वारा भी किया जाता है.. मेरी आत्मा बहुत ही.. दुख पाती है.. ©Insaan RTN

#विचार #गुनाह  गुनाह  जीभारी आपत्ती—
 मैं जिम्मेदारी शब्द हूं..
आतंकवादी वारदातों, घटनाओं, वारदातों..
 और गुनाहों के बाद..
उनके कुबूल नामे में..
मेरा नाम लिया जाता है..
जो कि मीडिया द्वारा भी किया जाता है..
मेरी आत्मा बहुत ही..
दुख पाती है..

©Insaan RTN

गुनाह बहुत गुमान हो गया था मुझको मुझसे बिछड़ते वक्त उसने गुनेहगार कह दिया था मुझको 📋✍️ ©Mere bol

#शायरी #गुनाह  गुनाह  बहुत गुमान हो गया था मुझको 
मुझसे बिछड़ते वक्त 
उसने गुनेहगार कह दिया था मुझको
📋✍️

©Mere bol

बहुत गुमान हो गया था मुझे उसके होने का..... 🙏🙏🙏😢😢😢 #गुनाह

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गुनाह रब ने भी तो रब से मांगी थी दुआ, इश्क तो उनका भी मुक्कमल ना हुआ... मिले तो धरती अंबर भी नहीं कभी, हम मिल कर बिछड गये तो बता क्या गुनाह हुआ...!! ©:-@sangwan

#धरती_अंबर #मुक्कमल #sangwanankur2000 #गुनाह #heart_of_dark #इश्क  गुनाह  रब ने भी तो रब से
मांगी थी दुआ,
इश्क तो उनका भी
मुक्कमल ना हुआ...
मिले तो धरती अंबर
भी नहीं कभी,
हम मिल कर बिछड गये
तो बता क्या गुनाह हुआ...!!

©:-@sangwan

#रब ने भी तो रब से मांगी थी #दुआ, #इश्क तो उनका भी #मुक्कमल ना हुआ... मिले तो #धरती_अंबर भी नहीं कभी, हम मिल कर #बिछड गये तो बता क्या #गुनाह हुआ...!!

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गुनाह Main Marne Wali Thi Itne Dukh Dekh Kr..Phir Dukh Ne Kaha Meri Aur Dekh Dard Mein Rehta Hun☹☹.. Main Tere Pass Aya Tujhe Dunia Ke Rang Dikhane Aur Tu Mujhe Hi Rang Dikha Rhi Hai..💯💯 ©Shairaj27

#शायरी #गुनाह #died #SAD  गुनाह  Main Marne Wali Thi Itne Dukh Dekh Kr..Phir Dukh Ne Kaha  Meri Aur Dekh Dard Mein Rehta Hun☹☹..
Main Tere Pass Aya Tujhe Dunia Ke Rang Dikhane Aur Tu Mujhe Hi Rang Dikha Rhi Hai..💯💯

©Shairaj27

गुनाह गुनाहों का शिलशिला यूँ ही जिंदगी में चलता रहा, मैं गुनाहों पर गुनाह यूँ ही करता रहा, एक जो गुनाह किया कभी मैंने, फिर ना जाने क्यूँ उसी राह चलता रहा, सोच बैठा था , बहुत मासूम इस जहाँ को, पर हर बार खंजर के वार सहता रहा, अक्सर गले लगाना चाहा था जिन को प्यार से, उन्होनें ही दिल को तारतार किया, सब को नेक समझने का गुनाह जो मैने किया, जिंदगी भर उसी राह पर चलता रहा, समझता था हर दिल में बसा है अपनत्व, हर बार सोचना ये निराधार हुआ , गुनाहों पे गुनाह हर बार मैं करता रहा, गैरों को भी अपना मैं समझता रहा,। "दीप"

#गुनाह  गुनाह    गुनाहों  का शिलशिला यूँ ही जिंदगी में चलता रहा,
मैं गुनाहों पर गुनाह यूँ ही करता रहा,
एक जो गुनाह  किया कभी मैंने,
फिर ना जाने क्यूँ उसी राह चलता रहा,
सोच बैठा था , बहुत मासूम इस जहाँ को,
पर हर बार खंजर के वार सहता रहा,
अक्सर गले लगाना चाहा था जिन को प्यार से,
उन्होनें ही दिल को तारतार किया,
सब को नेक समझने का गुनाह  जो मैने  किया,
जिंदगी भर उसी राह पर चलता रहा,
समझता था हर दिल में  बसा है अपनत्व,
हर बार सोचना ये निराधार हुआ ,
गुनाहों पे गुनाह हर बार मैं करता रहा,
गैरों को भी अपना मैं समझता रहा,।
"दीप"

गुनाह उन्हें फुर्सत ही नही कत्ल करते लोग तरसते रहे एक गुनाह को कभी इधर कभी उधर गिरा दिए हादसे लोग तरसते रहे एक पनाह को

 गुनाह  उन्हें फुर्सत ही नही कत्ल करते
लोग तरसते रहे एक गुनाह को
कभी इधर कभी उधर गिरा दिए हादसे
लोग तरसते रहे एक पनाह को

गुनाह उन्हें फुर्सत ही नही कत्ल करते लोग तरसते रहे एक गुनाह को कभी इधर कभी उधर गिरा दिए हादसे लोग तरसते रहे एक पनाह को

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