वहां कौन है
भाग 4
मैं अब सीधे बड़ी दीदी के कमरे में जाकर उनकी गोद में सर रखकर लेट गया।
"दीदी क्या मैं आज आपके कमरे में सो सकता हूं?कितने साल बाद मिल रहा हूं आपसे।बहुत सारी बातें करनी है आज।"
"चल नन्हे जियादा इमोशनल न कर।और पूछने की कि जरूरत,यहीं आराम कर।वैसे एक बात तो है तूं 40 का हो गया पर डरपोक आज भी बचपन जैसा ही है।मम्मी झूठ बोल रही सै लल्ला, कोई आवाज नी आती मनप्रीत के कमरे से। तूं डर ना।"बड़ी दीदी ने मजाकिया अंदाज में कहा तो मैं भी मुस्कुराकर बोला,"दीदी वैसे आप भी बिल्कुल नहीं बदली हो,भले एक बच्चे की नानी भी बन गई हो फिर भी कोई भी सिचुएशन हो मजाक करना नहीं भूलती।"
"ए सब छोड़ लल्ला,ये बता मम्मी को हुआ के है,कोई दौरा पड़ा के?या कोई भूत देख ली?मैं बोली थी ना दिल्ली मेरठ हाईवे पर एक भूतनी घूमती रहती है,मत आना रात के वक्त।फिर भी तूं चल दिया मम्मी को लेकर!"
"दीदी आपको पता है वो भूतनी और कोई नहीं अपनी मनप्रीत है?"मेरे इतना कहते दीदी लगी खिलखिलाकर हंसने,"नन्हे,पागल ना बन,अपनी मनप्रीत बहुत अच्छी थी,वो भूत नहीं बन सकती कभी।"
©निम्मी
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