मैं अपने दर्द को लफ्जो में पिरो देता हू न,
मोहब्बत कितना करता हू,
नफरत कितनी है तुझसे,
या दर्द कितना है सिने में,
बोल देता हू न,
पर क्या करे कोई हमदर्द नही है मेरा,
जिसे सुना सकू अपनी इन बेफिजूल सी बातों को,
बस इसीलिए इंस्टा,व्हाट्सएप पर,
अपनी जज्बातों को कौरियो के भाव छोर देता हू न,
सोचता हू कोई तो होगा,
जो कौरियों को करोड़ों का दर्जा दे जाएगा,
अपने तो समझ न सके,
शायद से व्हाट्सएप की स्टोरी,और इंस्टा की पोस्ट में ही किसको मेरेभी दिल का दर्द समझ में आएगा.....
©Sunny कुमार
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