अगर लिखूं कोई किताब तो तुझे अपना लिखूंगी
खुली आंखों से देखा हुआ सपना लिखूंगी,,
लिख कर सारे दुःख अपने हिस्से मैं
तेरे हिस्से में सिर्फ हंसना लिखूंगी,,
मैं लिखूंगी तुम्हे और बेहिसाब लिखूंगी
कुछ पंक्तियां नहीं पूरी एक किताब लिखूंगी,,
तुम जो ये सोचते हो की मे भूल जाऊंगी तुम्हे,, माना सीधी साधी लड़की हूं
लडूंगी नहीं पर इश्क में मिले हर दर्द का हिसाब लिखूंगी..v$
©vibha $ingh
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