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अगबर
Unsplash मन्दिर मस्जिद न जाता तो क्या करता बो कहीं भी नहीं मिलता था तो क्या करता मुफ्लिस बच्चे की खुशी में दिखा खुदा हमको उसे खिलौने न दिलाता तो क्या करता ©मैं चराग़ों की तरफ़
मैं चराग़ों की तरफ़
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शिकायत की पाई पाई जोड़ कर रखी थी हमने उसने चाय दे कर सारा हिसाब बिगाड़ दिया ©मैं चराग़ों की तरफ़
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सुबह की पसंद शाम की तलब हैं जनाब ये चाय है इसकी बात ही अलग हैं ©मैं चराग़ों की तरफ़
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चाय चाय है कोई शराब थोड़ी न है उड़ने दो अफवाहों को ये सेहत के लिए खराब थोड़ी है ©मैं चराग़ों की तरफ़
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बिखेर के बैठी हूं कमरे में सब कुछ कहीं ख्वाब रखा है तो कहीं गम ©मैं चराग़ों की तरफ़
हर साल जनवरी सपने दिखाती है और दिसंबर औकात ©मैं चराग़ों की तरफ़
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