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नसीब से क्या उम्मीद करना, ये तो खुद मेहनत की ग़ुलाम है.. 🍂 ©Miss Anu.. thoughts

#standout  नसीब से क्या उम्मीद करना,
ये तो खुद मेहनत की ग़ुलाम है..
🍂

©Miss Anu.. thoughts

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19 Love

जब नाव जल में छोड दी तूफान में ही मोड़ दी दे दी चुनौती सिंधु को फिर धार क्या मंझधार क्या कह मृत्यु को वरदान ही मरना लिया जब ठान ही जब आ गये रणभूमि में फिर जीत क्या फिर हार क्या जब छोड़ दी सुख की कामना आरंभ कर दी साधना सघर्ष पथ पर बढ़ चले फिर फूल क्या अंगार क्या संसार का पी, पी गरल जब कर लिया मन को सरल भगवान शंकर हो गए फिर राख क्या श्रंगार क्या . ©Arpit Mishra

 जब नाव जल में छोड दी 
तूफान में ही मोड़ दी 
दे दी चुनौती सिंधु को 
फिर धार क्या मंझधार क्या 

कह मृत्यु को वरदान ही 
मरना लिया जब ठान ही 
जब आ गये रणभूमि में 
फिर जीत क्या फिर हार क्या 

जब छोड़ दी सुख की कामना 
आरंभ कर दी साधना 
सघर्ष पथ पर बढ़ चले 
फिर फूल क्या अंगार क्या 

संसार का पी, पी गरल 
जब कर लिया मन को सरल 
भगवान शंकर हो गए 
फिर राख क्या श्रंगार क्या




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©Arpit Mishra

हरिवंश राय बच्चन

13 Love

चाँदनी छत पे चल रही होगी, अब अकेली टहल रही होगी। फिर मेरा जिक्र आ गया होगा, वो बरफ़-सी पिघल रही होगी। कल का सपना बहुत सुहाना था, ये उदासी न कल रही होगी। सोचता हूँ कि बंद कमरे में, एक शमआ-सी जल रही होगी। शहर की भीड़-भाड़ से बचकर, तू गली से निकल रही होगी। आज बुनियाद थरथराती है, वो दुआ फूल-फल रही होगी। तेरे गहनों-सी खनखनाती थी, बाज़रे की फ़सल रही होगी। जिन हवाओं ने तुझको दुलराया, उनमें मेरी ग़ज़ल रही होगी। . ©Arpit Mishra

 चाँदनी छत पे चल रही होगी, 
अब अकेली टहल रही होगी।

फिर मेरा जिक्र आ गया होगा, 
वो बरफ़-सी पिघल रही होगी।

कल का सपना बहुत सुहाना था,
 ये उदासी न कल रही होगी।

सोचता हूँ कि बंद कमरे में, 
एक शमआ-सी जल रही होगी।

शहर की भीड़-भाड़ से बचकर, 
तू गली से निकल रही होगी।

आज बुनियाद थरथराती है, 
वो दुआ फूल-फल रही होगी।

तेरे गहनों-सी खनखनाती थी,
बाज़रे की फ़सल रही होगी।

जिन हवाओं ने तुझको दुलराया,
उनमें मेरी ग़ज़ल रही होगी।







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©Arpit Mishra

दुष्यंत कुमार

12 Love

प्रासादों के कनकाभ शिखर, होते कबूतरों के ही घर, महलों में गरुड़ ना होता है, कंचन पर कभी न सोता है। रहता वह कहीं पहाड़ों में, शैलों की फटी दरारों में। उड़ते जो झंझावतों में, पीते जो वारि प्रपातो में, सारा आकाश अयन जिनका, विषधर भुजंग भोजन जिनका, वे ही फानिबंध छुड़ाते हैं, धरती का हृदय जुड़ाते हैं. । ©Arpit Mishra

 प्रासादों के कनकाभ शिखर,
होते कबूतरों के ही घर,
महलों में गरुड़ ना होता है,
कंचन पर कभी न सोता है।


रहता वह कहीं पहाड़ों में,
शैलों की फटी दरारों में।


उड़ते जो झंझावतों में,
पीते जो वारि प्रपातो में,
सारा आकाश अयन जिनका,
विषधर भुजंग भोजन जिनका,


वे ही फानिबंध छुड़ाते हैं,
धरती का हृदय जुड़ाते हैं.











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©Arpit Mishra

Rashmirathi

15 Love

एक दफा हमारी याद नहीं आई बाहों में तब भीं लिए थे भर... हम खुश है देख लो अब रोशनी से भर दिया है हमने अपना घर... ©Abhishek tripathi#chgr@c

#शायरी #standout  एक दफा हमारी याद नहीं आई बाहों में
 तब भीं लिए थे भर...

 हम खुश है देख लो अब रोशनी से भर दिया है 
 हमने अपना घर...

©Abhishek tripathi#chgr@c

#standout

12 Love

#ಜೀವನ #standout  ನಮಗೆ ಶಕ್ತಿಯಾಗಿದ್ದವರೇ
ನಮ್ಮ ಶತ್ರುಗಳಾದಾಗ
ಕನಸು - ಕಂಟಕ..
ಮನಸು - ಮಾರ್ಮಿಕ...
ಬದುಕು - ಭಯಾನಕ....!!

©ಸುನೀತಾಲಕ್ಷ್ಮೀ (ಯುವ ಕವಯಿತ್ರಿ)

#standout

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