हमारे ज़माने में तो
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#विचार  हमारे ज़माने में तो  हमारे जमाने में तो बिमारियों को जानते भी नहीं थे जो अभी किसी भी समय में आपात कालीन स्थिति को उत्पन्न करती है, खानपान और आचार विचार और व्यवहार ये सब बीमारियों की दवा थे जो अब नहीं है।

©Satish Kumar Meena

हमारे जमाने में

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#Life❤  हमारे ज़माने में तो  जीने के लिए जान जरू  है, कुछ पाने के लिए अरमान जरूरी है, चाहे जितने भी ग़म हो मेरी दुनिया में, तुम्हारे लबों पर मुस्कान जरूरी है

©*save2.1aneesh*

#Life❤ हमारे ज़माने में तो

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हमारे ज़माने में तो जवानी में नहीं तो बुढ़ापे में झुक जाओगे सब कुदरत का खेल है बच नहीं पाओगे ©Aprajita Kumari

#विचार  हमारे ज़माने में तो  जवानी में नहीं तो बुढ़ापे में झुक जाओगे
सब कुदरत का खेल है बच नहीं पाओगे

©Aprajita Kumari

हमारे ज़माने में तो जवानी में नहीं तो बुढ़ापे में झुक जाओगे सब कुदरत का खेल है बच नहीं पाओगे ©Aprajita Kumari

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हमारे ज़माने में तो सब उल्लू बनाते हैं रात में जगाते हैं दिन छू मंतर हो जाते हैं पर हमको समझ नहीं एक बात ये उल्लू आते कहाँ से आधी रात 😜😂🤣 ©Sonu Goyal

#Quotes #Funny  हमारे ज़माने में तो  सब उल्लू बनाते हैं
रात में जगाते हैं
दिन छू मंतर हो जाते हैं
पर हमको समझ नहीं एक बात
ये उल्लू आते कहाँ से आधी रात
😜😂🤣

©Sonu Goyal

#Funny #Nojoto

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हमारे ज़माने में तो जिंदगी में हमेशा बुजुर्गों का सम्मान करें  उनकी सुनें और कुछ उनका ध्यान करें  जी रहें हैं हम उन्हीं के बदौलत उनको अहमियत दें और उनका मान करें       झरना मुखर्जी       वाराणसी ©Jharna Mukherjee

 हमारे ज़माने में तो  जिंदगी में हमेशा बुजुर्गों का सम्मान करें

 उनकी सुनें और कुछ उनका ध्यान करें

 जी रहें हैं हम उन्हीं के बदौलत

उनको अहमियत दें और उनका मान करें


      झरना मुखर्जी

      वाराणसी

©Jharna Mukherjee

हमारे ज़माने में तो जिंदगी में हमेशा बुजुर्गों का सम्मान करें  उनकी सुनें और कुछ उनका ध्यान करें  जी रहें हैं हम उन्हीं के बदौलत उनको अहमियत दें और उनका मान करें       झरना मुखर्जी       वाराणसी ©Jharna Mukherjee

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हमारे ज़माने में तो स्वागत में सासू लगी , सजनी बैठी दूर । सरहज मन मुस्का रही , देख देख के नूर ।। खीर पुआ लेके खड़ी , देखो पितिया सास । खुश होगें दामाद जी , मन में लेकर आस ।। सासू पंखा दे रही , और रही मुस्काय । पाहुन शर्मीले मिलें , बिटिया दियो बुलाय ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

 हमारे ज़माने में तो  स्वागत  में  सासू  लगी , सजनी  बैठी दूर ।
सरहज मन  मुस्का रही , देख देख के नूर ।।

खीर पुआ लेके खड़ी , देखो पितिया सास ।
खुश होगें दामाद जी , मन में  लेकर आस ।।

सासू  पंखा  दे  रही ,  और  रही  मुस्काय ।
पाहुन शर्मीले मिलें , बिटिया  दियो बुलाय ।।

                   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

स्वागत में सासू लगी , सजनी बैठी दूर । सरहज मन मुस्का रही , देख देख के नूर ।। खीर पुआ लेके खड़ी , देखो पितिया सास । खुश होगें दामाद जी , मन में लेकर आस ।। सासू पंखा दे रही , और रही मुस्काय । पाहुन शर्मीले मिलें , बिटिया दियो बुलाय ।।

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