मुझपे ही पड़ता मेरी सांसों का कहर
एक तरफा मोहब्बत
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मुझपे ही पड़ता मेरी सासों का सायां सच्च है मुझे उसके प्यार ने एहसास कराया वो दुर होके भी मेरे पास है बंद आँखो ने बताया उसके आने से मैने इक नया संसार पाया वो हरदम रहती है साथ मेरे बनके सायां तुम मुझसे दुर न जावोगे करो तुम ये वादा माफ कर देगें हम चाहे हो जो खता़ भुला देगें हम शिकवे शिकायत बस तुम रखना मुझे अपनी यादों में मुझे हर बात तुम्हारी मंजुर होगी बातों की हर रात पूर्णिमा होगी मुझपे ही पड़ता मेरी सांसों का साया सच्च है मुझे उसके प्यार ने एहसास कराया ©Indra jeet

#लव  मुझपे ही पड़ता मेरी सासों का सायां 
सच्च है मुझे उसके प्यार ने एहसास कराया 
वो दुर होके भी मेरे पास है बंद आँखो ने बताया 
उसके आने से मैने इक नया संसार पाया 
वो हरदम रहती है साथ मेरे बनके सायां 
तुम मुझसे दुर न जावोगे करो तुम ये वादा 
माफ कर देगें हम चाहे हो जो खता़ 
भुला देगें हम शिकवे शिकायत 
बस तुम रखना मुझे अपनी यादों में 
मुझे हर बात तुम्हारी मंजुर होगी 
बातों की हर रात पूर्णिमा होगी 
मुझपे ही पड़ता मेरी सांसों का साया 
सच्च है मुझे उसके प्यार ने एहसास कराया

©Indra jeet

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मुझपे ही पड़ता मेरी सांसों का कहर एक तरफा मोहब्बत का जहर मेरा तिरस्कार करती हुई तेरी आँखें किसी और से ईकरार करती तेरी बातें मैं बर्दास्त कर लूँगा..... मैं बर्दास्त कर लूँगा... तन्हाई, खामोशी और घोर सन्नाटा अपने ही हांथों से अपने गाल पर चाटा अपने सर पर पत्थर-ए-हुजूम मुझे गालियाँ देती हुई तुम मुझपे तिलमिला कर चीखती हुई धड़कन बिखरे हुए ख्वाबों के शिसकियों का तड़पन मैं बर्दास्त कर लूँगा.... ठंडी रूह, काँपते लब, बरसती आँखें तेरी यादों के धूप में सुखती साँसे क्यों का शोर मचाता हुआ सवाल जिंदगी भर तुझे न पाने का मलाल ये सब के सब मैं बर्दास्त कर लूँगा.... मगर, प्रियात्मा...जब तुम मुझपे तरस खाकर मेरे काँधे पर हाँथ भर रखोगी तो ये मुझसे हरगिज बर्दास्त नहीं होगा। ©RAVISHANKAR PAL

#nojotohindi  मुझपे ही पड़ता मेरी सांसों का कहर
एक तरफा मोहब्बत का जहर 
मेरा तिरस्कार करती हुई तेरी आँखें
किसी और से ईकरार करती तेरी बातें
                                                             मैं बर्दास्त कर लूँगा..... 
मैं बर्दास्त कर लूँगा...                    
तन्हाई, खामोशी और घोर सन्नाटा    
अपने ही हांथों से अपने गाल पर चाटा
अपने सर पर पत्थर-ए-हुजूम
मुझे गालियाँ देती हुई तुम
मुझपे तिलमिला कर चीखती हुई धड़कन
बिखरे हुए ख्वाबों के शिसकियों का तड़पन
                                                           मैं बर्दास्त कर लूँगा.... 
ठंडी रूह, काँपते लब, बरसती आँखें
तेरी यादों के धूप में सुखती साँसे
क्यों का शोर मचाता हुआ सवाल
जिंदगी भर तुझे न पाने का मलाल
                                        ये सब के सब मैं बर्दास्त कर लूँगा.... 
मगर, प्रियात्मा...जब तुम मुझपे तरस खाकर 
 मेरे काँधे पर हाँथ भर रखोगी
तो ये मुझसे हरगिज बर्दास्त नहीं होगा।

©RAVISHANKAR PAL

ये मुझसे हरगिज बर्दास्त नहीं होगा #Nojoto #nojotohindi कवि संतोष बड़कुर @isha rajput @Pramodini Mohapatra Vivek..... अनुज

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