Message of the Day Writing Contest
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#MessageOfTheDay बड़ी ही मासूमियत से गोटा गया था उसका गला बड़ी, ही खूबसूरत सी थी उसकी हसी...।।❤️💯💫 ©pooja salvi

#Messageoftheday  #MessageOfTheDay बड़ी ही मासूमियत से गोटा
 गया था उसका गला बड़ी,

 ही खूबसूरत सी थी 
उसकी हसी...।।❤️💯💫

©pooja salvi
#कोट्स #Messageoftheday  #MessageOfTheDay वही अल्हड़ सा एक लड़का
कहीं ओझल है मुझमें भी
समझ कि इस घनी चादर में
कहां दिखता है मुझको भी

©kavi abhiraj

#MessageOfTheDay –+सभ्यता+– अमीर का बच्चा है.. दिखाना लाड़.. और.. दिलवाना चीज जरूरी है.. नंगे भूखे गरीब बच्चों को भगाना.. क्या करें भाई.. मजबूरी है.. ©Insaan RTN

#Messageoftheday #समाज  #MessageOfTheDay –+सभ्यता+–



अमीर  का बच्चा है..
दिखाना लाड़..
और..
दिलवाना चीज जरूरी है..



नंगे भूखे गरीब बच्चों को भगाना..
क्या करें भाई..
मजबूरी है..

©Insaan RTN

Yu dur hoke tujhse Kitne khoye hain Soye nahi raaton main Jitne roye hain.... ©Krishna Tomar

#Messageoftheday  Yu dur hoke tujhse 
Kitne khoye hain
Soye nahi raaton main
Jitne roye hain....

©Krishna Tomar
#प्रेरणादायी #प्रेरक #शायरी #Messageoftheday #Motivational #Quotes  #MessageOfTheDay छू ले आसमा जमी की तलाश ना कर
जी ले जिंदगी खुशी की तलाश ना कर
तकदीर बदल जायेगी खुद ही मेरे दोस्त
मुस्कुराना सीख ले वजह की तलाश ना कर.....!!

©GJ's Motivational

#MessageOfTheDay मैं जानता हूं अपनी खामियां मासूम दिल होने के कई हानियां एक तो मर्द, उपर से संघर्षरत जिंदगी में बढ़नी ही है परेशानियां ये अल्प उम्र की अज्ञानियां दे रही असंख्य जख्मों के निशानियां हारकर बिखरे नहीं अब तलक, भले दर्दों से लिखी गई मेरी कहानियां युवा मन और बेरहम सपने एक एक कर रूठता अपने जलता मस्तिष्क पूछता हमसे किस जन्म का सजा पाया तुमने जानता हूं मुश्किल है मंजिल का सफर राहों को फिर भी गले लगाया हमने महंगी तो होनी ही थी काटों से दुश्मनी फूलों का बाग फिर भी सजाया हमने शहर के चारदीवारी में कैद होकर एक उम्र जेल सा बिताया हमने ©Rajesh Yadav

#Messageoftheday  #MessageOfTheDay मैं जानता हूं अपनी खामियां 
मासूम दिल होने के कई हानियां 
एक तो मर्द, उपर से संघर्षरत
जिंदगी में बढ़नी ही है परेशानियां

ये अल्प उम्र की अज्ञानियां
दे रही असंख्य जख्मों के निशानियां
हारकर बिखरे नहीं अब तलक, भले
दर्दों से लिखी गई मेरी कहानियां

युवा मन और बेरहम सपने
एक एक कर रूठता अपने
जलता मस्तिष्क पूछता हमसे
किस जन्म का सजा पाया तुमने

जानता हूं मुश्किल है मंजिल का सफर
राहों को फिर भी गले लगाया हमने
महंगी तो होनी ही थी काटों से दुश्मनी
फूलों का बाग फिर भी सजाया हमने 
शहर के चारदीवारी में कैद होकर
एक उम्र जेल सा बिताया हमने

©Rajesh Yadav
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