मैं अडिग हूँ जैसे, मै अडिग हूं,हिमालय पर्वत की तरह,
आजादी का पुजारी हूं सिंह की तरह।
झुकना नहीं सीखा चाहे मैं टूट जाऊं,
भरा लावा रगों में,चाहूं तो फुट जाऊं।
दिखाएं दुश्मन आंख मुझे मंजूर नहीं,
हौसलें बुलंद मेरे मैं भी कमजोर नहीं।
आजादी मुझको जान से भी प्यारी है,
डरता नहीं कभी मौत से मेरी यारी है।
मिले न आजादी तो जंग जारी रखना,
वतन के लिए मरने की तैयारी रखना।
देशभक्ति धर्म,आजादी का पुजारी हूं,
मातृभूमि के वास्ते ज़िन्दगी गंवानी है।
JP lodhi 24/03/2021
🇮🇳🇮🇳 जय हिन्द 🇮🇳🇮🇳
©J P Lodhi.
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