Unsplash उम्र का अशर अब हावी
खुद पर होने लगा है..
चहरा पिचकने लगा है..
बालो का रंग कही कही,
सफ़ेद भी होने लगा है..
गिने चुने लोगो के जुबां पर नाम,
सब कुछ दिमाग़ से बिसरने लगा है..
उम्र का असर अब कुछ यू
हावी खुद पर होने लगा है..
जो बेमेल थे उनसे मेल
बढ़ने लगा है,
जो थे मेल जोल वाले कही और उनका ठिकाना
होने लगा है..
राते करवटो मै बदलने लगी,
नींद आँखो से क्या
अबतो ख्वाब भी ओझल होने लगा है..
एक फ़िक्र हर वक़्त लगी रहती है,,
मेरे जाने के बाद होगा क्या..?
इसी फ़िक्र मै अब तो खर्चा दवाई का दिन ब दिन,,
बढ़ने लगा है...
©JitendraSHARMA (सोज़)
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